Followers

Saturday, November 30, 2019

जी भर के कोई भी द्वेष करे


जी भर के कोई भी द्वेष करे,
तुम अहिस्ता मुस्का देना;
दुनिया यदि विकट विद्वेष करे,
बस हल्के से तुम हंस देना।

न छटे आच्छादित गम के बादल,
ऐसा हो सकता ही नही;
न हटे अजब तूफानी हलचल,
कभी ऐसा सम्भव ही नही;
धैर्य और साहस के सहारे,
सरपट आगे तू निकल जाना।

बैर ईर्ष्या को कोमल मन का,
बोझ नही बनने देना;
विषाक्त सड़ीले इन कचरों को,
कभी न ठहरने देना;
हो सहज सरल इस दुनिया में,
आसानी से आगे बढ़ते रहना।

जीवन की सारी हँसी ख़ुशी,
सब तुझ पर निर्भर करता है;
वैसे ही होगी ऐ जिन्दगी,
तू जैसा निर्णय करता है;
अँधेरे और आफतों में भी,
आसान राह को कर देना।

जीवन के प्रश्न है कठिन नही,
हम लोग कठिन बनाते हैं;
हम जितना उसको सुलझाते हैं,
उतना ही जटिल बनाते हैं;
जीवन के कठिनतम प्रश्नों को,
हल हल्के ह्रदय से कर देना।

मन दुर्बल तन को क्षय करना,
ये कौन सी समझदारी है;
नफरत के सहारे जीवन जीना,
बुरी आदत गंभीर बीमारी है;
प्रतिकूल परिस्थिति कितनी भी हो,
तुम शांतचित्त चलते रहना।

दुनिया अजब बहुरंगी है,
गिरगिट सा रंग बदलती है;
अगले पल ही मुड़कर पीछे,
घनघोर बुराई करते हैं;
बचना बकवास बुराई से,
सब सुना को अनसुना कर देना।

सब लोग तुम्हे गाली देंगे,
जब नई राह अपनाओगे;
जी भर के तेरा गान करेंगे,
जब कामयाब हो जाओगे;
टीका टिप्पड़ी पर मत जाना,
मन में बस मकसद रखना।

विकट समय से निपट,
गगन को चूमना आसान नही;
सफलता के समन्दर पा जाना,
बच्चों का कोई काम नही;
चुनौतियों को चीर सदा,
हिम्मत की डोर बांधे रखना।

जब तेरी राह कभी रोके,
तेरा साथी छल कपटी बनकर;
तुझको जब दुविधा में झोके,
तेरा दोस्त हितैषी बनकर;
अद्भुत होशियारी दिखलाके,
सही राह कोई तुम चुन लेना।
19.09.2019

No comments:

Post a Comment