सरपट
पथ पर चलना,
गिरना
गिर गिर कर संभलना;
डरकर
कठिन हालातों से,
ऐ
वीर मुसाफिर मत रुकना।
मरुभूमि
नदी झरने पर्वत,
सब
तुझ पर अट्टहास करेंगे;
दसों
दिशाएं और सात समन्दर,
मिल
तेरा परिहास करेंगे;
तू
फिकर न करना अवरोधों का,
द्रुत
गति आगे चलते रहना।
पंक्षी
पवन पत्ते पृथ्वी,
भांति
भांति तुम्हे डरायेंगे;
गिरकर
चलना चलकर गिरना,
बन
साथी तुझे सिखायेंगे;
कमजोर
ह्रदय कर जीवन पथ पर,
हतोत्साहित
होकर मत झुकना।
सत्य
है दुखदर्द बहुत,
हर
व्यक्ति यहाँ पर सहता है;
डरा
सहमा उचका संशय में,
हर
कोई यहाँ रहता है;
विकट
विघ्न बाधाओं से,
ऐ
वीर कभी भी मत डरना।
तेरे
हमदर्द हमजोली भी,
संकट
में साथ तज देते हैं;
सम्पन्नता
और विपन्नता में,
ऐ
साथी सच्चे नही होते हैं;
दुनिया
के दामन का भरोसा नही,
निज
आत्मबल पर भरोसा करना।
पग
पग पर फैले शूल यहाँ,
पग
पग पर गति अवरोधक हैं;
पग
पग ऊबड़ खाबड़ है,
पग
पग विशाल प्रतिरोधक है;
चुनौतियों
और रुकावटों से,
निरन्तर
आगे चलते रहना।
हिम्मत
हिला देने वाली,
कभी
होगी यहाँ डरावनी रातें;
बादल
गर्जन विजली चमक,
काली
घटा घनघोर बरसातें;
दिल
दहला देने वाले वाकिए से,
दम
खम कभी कम मत करना।
समन्दर
तेरा रास्ता रोकेगा,
आसमानी
सुनामी लहरों से;
पर्वत
तुझे चुनौती देगा,
अगम्य
अभिमानी रूपों से;
समन्दर
पर्वत झुक जायेगे,
धैर्य
साहस तुम मत तजना।
रेगिस्तानी
रेतीले रास्तों में,
तेरे
पैर भी जल जायेंगे;
पर्वत
की पथरीली पगडंडी से,
तेरे
कोमल पाँव छिल जायेंगे;
जंगलों
के कटीले रास्तों के,
काँटों
से तुम मत डरना।
उत्सव
वैभव थोड़े है यहाँ,
दुखदर्द
यहाँ पर ज्यादा है;
कुछ
भी हासिल कर सकते हो,
यदि
पक्का मजबूत इरादा है;
कठिन
परिस्थितियां देखकर तुम,
कभी
दिल को छोटा मत करना।
हाड़
कपाती ठण्डक यहाँ,
चिलचिलाती
धूप भी है;
विपत्ति
विभीषिका भयंकर भूकम्प,
तवाहियों
के अनेको रूप है;
दुनिया
का प्रत्यक्ष विनाश देख,
हो
हतप्रभ हौसला मत तजना।
बुलन्द
हौसलों की आहट से,
पर्वत
रास्ते बन जाते हैं;
उद्यमी
जाबांज दिलेरों से,
समन्दर
भी सहम जाते हैं;
हिम्मत
है तो सब मुमकिन है,
हिम्मत
से आगे बढ़ते रहना।
देख
तनिक तकलीफ यहाँ,
साधारण
मानव डर जाता है,
दमदार
जिगर रखने वाला,
खुद
मौत से लड़ जाता है;
परिस्थिति
अनुकूल हो जाती है,
तुम
धैर्य और साहस रखना।
जीवन
मिल जाने से यहाँ,
मरना
सत्य हो जाता है;
किसी
के लाख चाहने से भी,
नियति
नह टल पाता है;
मृत्यु
होना है हो जाए,
तुम
मृत्यु से कभी न डरना।
ऐसा
भी नही की दुनिया में,
सब
छल कपटी अति दुष्ट हैं;
ऐसा
भी नही हर रोज यहाँ,
विकराल
वेदना और कष्ट है;
निर्भर
तुझ पर सब कुछ है,
अंधेरों
को रोशन करते रहना।
जब
कभी विशाल (विकट) तूफ़ान आये,
चुपचाप
निकल जाने देना;
देख
दर्द दिल घबराए,
आहिस्ता
इसे तुम समझाना;
हालात
कितने भी बदतर हो,
नियति
है इनकी निकल जाना।
30.09.2019
good
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