तेरी
राष्ट्रभक्ति तेरा राष्ट्र गौरव,
तेरा
राष्ट्रवाद सब झूठा है।
तू
धूर्त महा मक्कार है,
तू
देश का गद्दार है;
धोखेबाज
बहानेबाज तू,
तू
लुटेरों का सरदार है;
रखवाली
का भरोसा देकर तूने,
इस
देश को जमकर लूटा है।
देश
का नाम ले लेकर तुमने,
इस
देश का सत्यानाश किया;
जर्जर
अपंग निर्बल करके,
तुमने
सम्पूर्ण विनाश किया;
सम्मान
सहूलियत संपत्ति पर,
तू
पैशाचिक बनकार टूटा है।
मायाबी
जादूगर सा बनकर,
अजब
गजब करतब दिखाता है;
चिकनी
चुपड़ी बातों से अपनी,
भोली
भाली जनता को फंसाता है;
तेरे
लम्पट लफ्फाजों से तंग आकर,
विश्वास
जनमानस का टूटा है।
तू
फर्जी देशभक्ति का,
सिर्फ
दिखावा करता है;
मनगढ़ंत
कहानी झूठे वादे,
जनता
से छलावा करता है;
तू
जालिम है तू जोकर है,
तू
छलिया अत्यंत अनूठा है।
भूखा
नंगा इन्सान यहाँ,
खाली
पेट सो जाता है;
राष्ट्रवाद
बस राष्ट्रवाद,
तू
गलाफाड़ चिल्लाता है;
तू
कातिल है तू काफ़िर है,
नापाक
तेरा मंसूबा है।
राष्ट्रवाद
के नाम पर,
जनता
को उल्लू बनाते हो;
राज
सिंहासन पर हो सको आसीन,
गजब
गजब गुल खिलाते हो;
तेरी
बदनीयती तेरी बदइन्तजामी से,
इस
देश का मान डूबा है।
जनमानस
जब सांसत में फंसा,
तो
कैसा देश क्या राष्ट्र;
जुल्म
की जंजीर में जकड़ा अगर,
फिर
राष्ट्रवाद भी है बकवास;
राष्ट्रवाद
गंभीर बीमारी है,
इन्सान
जहाँ पर भूखा है।
राष्ट्रवाद
के खूबसूरत मुखौटे में,
शातिर
शैतान छिपा रहता है;
राष्ट्र
धरम का चरस पिला करके,
दीमक
बन देश को बंजर करता है;
राष्ट्रधर्म
मीठा और धीमा जहर है,
इस
जहर से सराबोर पूरा सूबा है।
तू
कौन होता है मुझको,
राष्ट्रभक्ति
का पाठ पढ़ाने वाला;
तू
कौन होता है मुझे,
देश
गौरव समझाने वाला;
तू
नित नई नौटंकी करने वाला,
अतिशय
अत्यन्त अजूबा है।
तेरी
देशभक्ति खुद ढुलमुल है,
तेरा
किरदार संदेहास्पद है;
तू
जख्म का जखीरा है,
तेरे
कारनामे विवादास्पद हैं;
देशभक्ति
और राष्ट्रभक्ति के नाम पर,
इस
देश को तूने लूटा है।
हमदर्द
बनकर खुद अपनों को,
खुद
तुमने नेस्तनाबूत किया;
साधारण
जन के सारे सपनों को,
खुद
तुमने चकनाचूर किया;
बेशरम
बेपरवाह बेवफा है तू,
मेवे
में सना जहरीला धतूरा है।
देशभक्ति
का राग अलाप,
तू
देश का स्वामी बन बैठा;
फर्जीवाडों
और फरमानों से,
सल्तनती
कुशासन कर बैठा;
सबको
गर्दिश और गफलत में डाल,
तूने
आम जन का खून चूसा है;
जन
से होता राष्ट्र,
और
जन से ही होता देश है;
जन
कल्याण और जन उद्देश्य,
हर
राष्ट्र का उद्देश्य है;
राष्ट
जन के लिए और,
जन
राष्ट्र के लिए पूजा है।
उस
राष्ट्र का हम क्या करेंगे,
जो
राष्ट्र ही निर्जन हो जायेगा;
राष्ट्र
सम्पत्ति का क्या करेंगे,
जब
जन ही निर्धन हो जायेगा;
जन
ही राष्ट्र और राष्ट्र ही जन है,
आत्म
निर्भर परस्पर एक दूजा है।
तेरा
राष्ट्रवाद एक मायाजाल है,
यह
व्यर्थ बकवास भौकाल है;
राष्ट्रवाद
की आभा में फंसाने का,
तेरी
गहरी साजिश गंदी चाल है;
अमन
चैन इस देश का,
तुम
सबने मिलकर लूटा है।
23.10.2019
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