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Thursday, December 5, 2019

मंत्र जाप तप हवन



मंत्र जाप तप हवन से,
किस्मत की कली न खिलती है;

देखा है यहाँ इन्सान को,
अति व्याकुल कांपते डरते;
ईश्वर सम्मुख नत मस्तक,
भीरू सा गिरते पड़ते;
प्राण न्योछावर करने से भी,
भाग्योदय की सूरत न बनती है।

देवकृपा दर्शन के लिए,
मीलों का सफर तय करते हैं;
प्रचण्ड धूप कड़ी ठण्डक,
बहुभांति मुसीबत सहते है;
जीवन की गाढ़ी कमाई को,
चढ़ाने से न तकदीर बदलती है

भूखे प्यासे रहकर के यहाँ,
यज्ञ पाठ अनुष्ठान करते हैं;
कुलदेवी को खुश करने का,
हर सम्भव विधि विधान करते हैं;
दिन रात दुआ करने से भी,
बदहाली नही बदलती है

उमर बीत जाती है यहाँ,
ईशकृपा तकते तकते;
हर कोशिश प्रभु बन्दन से भी,
कोई नही रस्ते बनते;
संचय संपत्ति चढ़ाने से भी,
कृपा नेत्र न खुलती है।

पीला वस्त्र कमण्डल पकड़,
दुर्जन साधू बन जाते हैं;
राहुकेतु का डर दिखाकर,
धन्धा व्यापार चलाते हैं;
हाथों की चन्द लकीरों में,
भाग्य कभी न बसती है।

भगवानों ने इन्सान नही,
इन्सानों ने भगवान बनायें हैं;
मूक बधिर भगवानों के घर भी,
इन्सानों ने ही बनाये हैं;
महाप्रलय में भी इन मूर्तियों से,
आवाज तक नही निकलती है।
25.09.2019

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