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Monday, December 26, 2016

सच

जैसे सुबह के शुरुआत से ही शाम के आने का निश्चय हो जाता है, वैसे पैदा होने के साथ
मृत्यु की तारिख निश्चित हो जाती है, फिर कौन येसी चीज है जो इन्सान को मृत्यु का
भय पैदा करके जीवन पर्यंत उसको सताती रहती है, शायद जीने की ललक और संसार की
खूबसूरती उसे अपने तरफ खीचती है . जैसे सुबह के शुरुआत से ही शाम के आने का निश्चय हो जाता है, वैसे पैदा होने के साथ मृत्यु की तारिख निश्चित हो जाती है, फिर कौन येसी चीज है जो इन्सान को मृत्यु का भय पैदा करके जीवन पर्यंत उसको सताती रहती है, शायद जीने की ललक और संसार की खूबसूरती उसे अपने तरफ खीचती है 

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