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Monday, December 26, 2016

हिन्दी और वतन




 हम अंग्रेज़ी के माध्यम से सिर्फ पैसा कमाते है , पर हिंदी
हमारे खून और रग –रग में है|

हम हिन्दी में सोचते है , हिंदी में सपने देखते है , हिन्दी में मजाक
करते है , हिन्दी में बडों का अभिवादन करते है , अंग्रेजी तो कक्षा तक या स्कूल तक
सीमित रहती है |

और वास्तविक भाव मन के तो अपनी ही भाषा में आते है ,जो सहजता और सरलता
अपनी भाषा में होती है वह किसी अपनाई हुई भाषा में कैसे हो सकता हू|

मै अंग्रेजी में व्यख्यान और बेहतर संवाद कर सकता हूँ,अपने पाठ्यक्रम
को , और पाठ को बच्चों कों समझा सकता हूँ ,किसी साक्षातकार में रोब जमा सकता
हूँ  , किसी दफ्तर कर्मी कों सबक सिखा सकता
हूँ और संस्था प्रमुख कों खुश रख सकता हू, पर मै किसी का दिल नहीं जीत सकता , कविता
की पंक्ती में दम नहीं होगा यदि में अंग्रेजी में लिखता हूँ|

हिन्दी कों मै न केवल मातृभाषा वरन राष्ट्र भाषा भी मानता हूँ |

हिन्दी कों शत शत  नमन करता
हूँ|

जय हिन्दी जय हिंदुस्तान|

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