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Thursday, May 7, 2015

आंबेडकर जयंती पर भाषण


यहाँ उपस्थित दलित समाज के होनहार और कर्मठ साथियों और भाई बहनों को भारत रत्न युग निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव अम्बेकर के जन्मदिन के पावन अवसर पर ढेर सारी शुभकामनाये और मुबारकबाद |
दोस्तों ! आज के दिन डा अम्बेडकर के जन्म के साथ एक नई सोच, नई विचारधारा और एक नये युग का जन्म हुआ था | ब्राह्मणवाद की रोग से कराह रहे शुद्र और दलित समाज के उद्धारक और मसीहा का अवतरण हुआ | जानवरों और कुत्तो से भी बदतर जिंदगी जी रहे हमारे समाज के लोगो को इन्सान बनाने वाले महापुरुस का जन्म हुआ | महामना डॉ भीमराव अम्बेकर ने मनुस्मृति को सरेआम जलाकर केवल दलित समाज बल्कि पुरे भारत को आधुनिक संविधान दिया | ऐसे महामानव और और मसीहा को मेरा शत शत नमन और बंदन |
दोस्तों ! येसा नही है कि दलित समाज को सुधारने और नई दिशा देने का काम केवल डा अम्बेडकर ने ही किया | समय समय पर अनेकानेक मह्पुरुष पैदा हुए और दलित समाज को सुधारने का महानतम कार्य किया | इस कार्य में उन्होंने अपने व्यक्तिगत और पारिवारिक सुखो को अपने महान कार्य में बाधा नही बनने दिया |पर जो काम डा अम्बेकर ने किए वह अनोखा और अदितीय था| और आज भी महात्मा गौतम बुध्द और डा अम्बेडकर तथा दलित सुधार के नाम से देश भर में हजारो संगठन और संस्थाए काम कर रही है| पर उसका परिणाम अभी भी अपेक्षा के अनुरूप नही है | आज भी दलित समाज ब्राह्मणवादी सोच के गुलाम बने हुए है और हम आपस में ही बटे हुए है | वही झाड फूक , वही मंदिर और भगवान्, वही पुरोहित गीरी , वही रामायण और भागवत कथा, वही शुभ अशुभ, वही अज्ञान और अंधकार, वही शराब पान गुटका सिगरेट , वही जुआ और फिजूलखर्ची, वही आपसी  गाली गलौज और मुकदमे बाजी, वही चाटुकारिता और मानसिक गुलामी, वही बालविवाह और नारियो का दमन , १४ साल कि बच्ची के पढ़ाई कि चिंता कम और शादी कि चिंता जादा, १४ साल के बच्चे को पढ़ने के स्थान पर मेहनत मजदूरी पर लगा देना फिर जल्दी शादी के बंधन में बांध कर उसका जीवन बर्बाद करने में गर्व मह्सूस करते है |क्या बदला अब तक | क्या प्रभाव पड़ा हमारे ऊपर हमारे महापुरुषों के अथक प्रयासों का | सिर्फ जयंती मना लेना और नाम याद कर लेना काफी नही होगा | जरुरत है जागरूक होने की| जरुरत है अधिकारों और सम्मान के लिए लड़ने कीभाग्य और भगवान के भरोसे रहेंगे तो फिर गुलामी के गर्त में समा जायेंगे और ये विदेशी हम मूलनिवासियो को मनगढ़ंत राम घनशयाम की कहानियों में उलझा के सत्ता और शासन की मलाई खाते रहेंगे |
और इसके लिए बाबा साहब के उस महामंत्र को साकार करना होगा जिसमे उन्होंने कहा कि अगर दलित समाज साम्मान सत्ता और शासन चाहता है तो उसे शिक्षित होना पड़ेगा संगठित होना पड़ेगा और  संघर्ष करना पड़ेगा | इस कड़ी में मै एक और बात कहना चाहुगा कि हामारे समाज के लिए स्वस्थ रहना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है | इसके लिए हमे स्वस्थ्य को नुक्सान पहुचाने वाली बुरी आदतों को सुधारना होगा इस कारण हामार्री आमदनी का येक बहुत बड़ा हिस्सा दवा और दारू में खर्च होता है पहले दारू फिर जब बीमारी हो जाये तो दवा | और फिर हम कहते है कि सीमित संसाधन और गरीबी के वजह से पढाई छोड़नी पडी या पढाई नही कर पाया |याद रखे अगर मन पढ़ने की इच्छा हो तो कोई भी समस्या आपके विकास में वाधक नही हो सकती | इसका सबसे बड़ा उदाहरण खुद डा अम्बेडर थे जिन्हें कक्षा के अन्दर बैठने तक की इजाजत नही थी| फिर भी उन्होंने इतनी पढाई कि और वह करके दिखाया जो भारत ही नही पुरे विश्व में तो कोई कभी पैदा हुआ और होने की संभावना है |
दोस्तों ! दलित समाज के माता पिता और समस्त भाई बंधुओ से आग्रह करना चाहता हूँ कि केवल बच्चे पैदा करना ही हमारी जिम्मेदारी नही है बल्कि उन्हें पढ़ाना लिखाना और योग्य बनाना भी हमारा कर्तव्य   है | किसी बच्चे की पढ़ाई सिर्फ इसलिए बंद करवा कर उसकी शादी कीजिये कि उसका पढ़ने में मन नही लगता और शरारत करता है | इतना समझिये किए वह बच्चा है और अभी समझदार नही हुआ है अगर समझदार होता तो शायद आपको उसे समझाने की जरुरत नही होती और जिस दिन वह समझदार हो जायेगा आपको समझाने की जरुरत नही पड़ेगी | पर होता यह है कि जब तक वह समझदार होता उसके पहले आप उसकी पढाई छुडवा के मेहनत मजदूरी में लगवा के शादी करवा चूके होते है | कृपया उस बच्चे को पढ़ने और आगे बढ़ने का मौका दीजिये | अगर एक बच्चा काबिल बनता है तो वह दलित समाज को भार नही बल्कि विकास की एक मजबूत कड़ी बनेगा जो अपने साथ समाज को भी आगे ले जाने का काम करेगा |
एक नई आशा और नई उम्मीद के साथ मै अपनी बात को समाप्त करुगा | जय भीम जय भारत|


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